यह घटना उतराखंड की है जो की उतराखंड के देहरादून में 2010 में घटी |इस घटना ने मानव जीवन में जो रिश्ते होते है उन पर से भरोषा उठा दिया |रिस्तो को तार तार कर दिया | उतराखंड वासिओ का कहना है की इस घटना के आगे सभी अपराध छोटे है | यह घटना जघन्य अपराध की श्रेणी में आती है |
यह घटना उस इन्सान की है | जिसने एक महिला से प्यार किया उसके साथ जीने मरने की कसमे खाई उसके साथ दुनिया भर के सपने देखे वो महिला मित्र भी उस के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी की उसे सब सपने सच होते दिखने लगे | वो महिला उस इन्सान के प्यार में इतना पागल हो चुकी थी की उसे उसके सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता था | बो उसे बेपनाह मोहबत करने लगी | लेकिन उस महिला को ये नहीं पता था की उसका ये प्यार और ये सब सपने जूठे है | ये सपने उसको मोत के मुह में ले जायेगे लेकिन वो तो अपनी जिन्दगी एक पल में जीना चाहती थी |
10 फरबरी 1999 को राजेश और अनुपमा की शादी होने वाली थी क्यों की 1992 से चले आ रहे उनके प्यार वाले रिश्ते को आज एक नया नाम मिलने वाला था वो आज एक दुसरे को पति और पत्नी के रूप में देखने वाले थे | दोनों आज बहुत खुस थे | उनकी खुसी का कोई ठिकाना नहीं था | आज उनको वो सब कुछ मिल गया था जो वो चाहते थे | आज उन्हें साथ साथ रहने का अधिकार मिल गया था | आज उनके सरे सपने पुरे हो गये थे | क्यों की आज वो दोनों प्रेम विवाह में बंधने वाले थे |
राजेश और अनुपमा दोनों देल्ही के रहने वाले थे | दोनों की शादी हो चुकी थी | दोनों बहुत खुस थे | शादी के बाद राजेश अनुपमा को लेकर अमेरिका चला गया और वही पर रहने लगा |
राजेश पैसे से एक सॉफ्टवेर इंजिनियर था | 2006 में दोनों माता पिता बन गये दोनों के दो जुड़वाँ बचे हुए आज का दिन उनके लिखे दोगुनी खुसी वाला दिन था दोनों बहुत खुस थे | इन दोनों बचो की वजह से इनका परिवार अब पूरा हो चूका था बचो में एक लड़का और एक लडकी थी | अब और इन्हें क्या चाहिए था |दोनों की जिन्दगी बहुत अछि चल रही थी | जेसे ही साल 2008 आया राजेश अपने परिवार के साथ भारत में वापिस आ गया |
और अब भारत में ही जॉब करने की सोची | और दोनों देहरादून में परकाश नगर में एक किराये के मकान में रहने लगा | लेकिन कुछ समय बाद दोनों पति पत्नी के बिच अनबन सुरु हो गई | उनके रिश्ते के बिच वो पहले जेसी बात नहीं रही दोनों के बिच रोज रोज लड़ाई झगड़े होने लगे |और ये उन दोनों का रोज का काम हो गया | दोनों में हर रोज तना तनी रहने लगी दोनों खुद को सही साबित करने में लगे रहते | और एक दुसरे को गलत बताते |
इस तरह जेसे तेसे यहाँ रहते हुए इन्हें 2 साल बीत चुके थे | आज 17 अक्तूबर 2010 को राजेश की पत्नी अनुपमा अचानक से देहरादून से लापता हो गई राजेश ने अपनी पत्नी के लापता होने की कोई बी कंप्लेंट पुलिस को नहीं करवाई | अब किसी को नहीं पता था की अनुपमा कहा है | और न ही राजेश ने अनुपमा को दुन्दने की कोई कोसिस की |
इधर राजेश के चार साल के दोनों बचे राजेश को पूछने लगे हमारी माँ कहा है और अपनी माँ से मिलने के लिए रोने लगते लेकिन राजेश अपने बच्चो को यह कहकर बात को कट कर देता की तुम्हारी माँ तुम्हारे नानिहल देलही गई हुई है जल्द ही वापिस आ जाएगी |
उधर अनुपमा के माता पिता भी प्रेषण थे क्यों की अनुपमा से कई दिनों से कोई बात नहीं हुई थी उन्हें भी इस बात की चिंता खाए जा रही थी की हमारी बेटी अनुपमा केसी है |
वो बार बार राजेश को फोन करते और अनुपमा से बात करने का कहते लेकिन राजेश हर बार कोई नया बहाना बनाकर बात को घुमा देता | लेकिन एक दिन अनुपमा के माँ बाप ने जो देकर पूछा तो राजेश ने बताया की अनुपमा के साथ उसकी किसी बात को लेकर थोड़ी नराजगी हो गई है और वो घर छोडकर चली गई है | आप फ़िक्र न करे उसका मन जब शांत हो जायेगे तो वो घर आ जाएगी |
उधर अनुपमाँ के माँ बाप को भी लगा की ऐसा हर परिवार में होता है वो अपने आप जब गुसा शांत हो जाएगा तो आ जाएगी |
लेकिन आज अनुपमा को गायब हुए लगभग 45 दिन हो चुके थे लेकिन अब तक अनुपमा का कोई पता नहीं चाल पाया था | थक हारकर अनुपमा के बड़े माता पिता ने अपने बेटे सुजान कुमार को देहरादून भेजा ताकि अनुपमा के घर जाकर पता करे की अनुपमा आखिर गई कहा |
आज अनुपमा को लापता हुए 57 दिन हो चुके थे और दिसम्बर 2010 को सुजान कुमार प्रधान अनुपमा के घर पहुँच गया | और उसने अपने राजेश यानि के अपने जीजा से अनुपमा के बारे में ये जानना चाहा की अनुपमा आखिर ह कहा तो राजेश उसके हार सवाल को बिच में ही कट कर देता और अपने साले की बातो को और कही घुमा देता |इस प्रकार सुजान को अपने जीजा पर सक होने लगा की राजेश उस से कुछ छुपा रहा है उसे पता है की अनुपमा कहा है राजेश जानबुझकर झूठ बोल रहा है |
अब सुजान खड़ा होकर घर के अंदर जाने लगा तो राजेश उसे अंदर जाने से रोकने लगा | अब सुजान को ये लगने लगा की उसकी बहन के साथ कुछ तो गलत हुआ है और उसका शक अब यकीन में बदलने लगा |
अब सुजान ने देर न करते हुए पास के ही पुलिस स्टेशन में अनुपमा की गुम्सुद्की की शिकायत कर दी |
और पुलिस ने अपनी छानबीन शुरू कर दी | पुलिस ने राजेश के घर के एक एक कोना छान मारा लेकिन उन्हें कुछ न मिला फिर पुलिस की नजर एक कोनर मर पड़े डी फ्रीजर पर पड़ी और पुलिस सोचने लगी की इस डी फ्रीजर की जरूरत को एक दुकान पर होती है राजेश तो कुछ एसा काम करता नहीं है |
अब पुलिस ने उस फ्रीजर को खोलकर देखा को उसमे छोटी छोटी काले रंग की पोलीथिन थी और उन सब में कुछ बर्फ जेसा कुछ था जो जमकर पत्थर के समान हो चूका था | अब पुलिस ने उन सभी थेलियों को बाहर निकाल दिया और पिंघलने के लिए छोड़ दिया जब पूरी बर्फ पिघल गई तो पुलिस ने जो कुछ देखा उनके पेरो तले से जमीं खिसक चुकी थी |
इन 70 पोलीथिन की थेलियो में इंसानी टुकड़े थे ऐक इन्सान को छोटे छोटे टुकडो में काटकर इन थेलियो में डाल रखा था |
अब पुलिस को राजेश से सारा सच उगलवाने के लिए जयादा कोशिश नहीं करनी पड़ी | राजेश ने सब सच उगल दिया था की ये टुकड़े अनुपमा के ही है |
राजेश ने बताया की अनुपमा के अमेरिका में एक दोस्त के साथ अफैर था | और अनुपमा राजेश राजेश से इस बात को लेकर झगड़ा करती की राजेश के कोलकाता की एक महिला के साथ नाजायज सम्ब्द थे | राजेश ने ये भी बताया की उसने अमेरिका से आने के बाद उस कोलकता वाली महिला से चुपके से शादी कर ली थी | और उधर अनुपमा ने देहरादून में महिला रोधी शाखा में अपने पति के खिलाफ शिकायत भी कर दी थी | उस शिकायत के कारण राजेश को हर महीने अनुपमा को 20000 रूपये गुजारे भते के देने पड़ते थे | और बाद में अनुपमा उससे और ज्यादा पैसे मांगने लगी , 17 अक्तूबर 2010 को इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया और ये झगड़ा इतना ज्यादा हो गया की दोनों हाथ पाई पर आ गये | और राजेश ने गुसे में आकर अनुपमाँ को पीछे धकेल दिया | और अनुपमाँ का सर पास पड़े बेड से जा टकराया और वो बेहोश हो गई पहेले तो राजेश को लगा की वो मर चुकी है |
लेकिनं पास जाकर देखा तो उसकी सांसे अब भी चल रही थी | अब राजेश सोचने लगा की वो अपनी पत्नी का करे भी तो क्या करे अब उसके दिमाक शेतान का प्रवेश हो चूका था | उसके सोचा अब अगर ये उठ गई को पका उसको जैल की हवा खिलवाएगी क्यों न इसका कम तमाम कर दिया जाये | और राजेश कमरे से रुई ले आया और अनुपमा के नाक में फसा दी ताकि उसका दम घुटने से मोत हो जाये और हुआ भी एसा कुछ देर बाद अनुपमा की मोत चुकी थी | अब राजेश लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगा | उसने सोचा की अगर लाश को इसे ही बाहर कार तक लेकर जाऊंगा तो कोई देख भी सकता है | वो अब बाजार गया और एक इलेक्ट्रिक आरी, एक हथोडा और एक डी फ्रीजर ले आया उसने अनुपमा की लाश के छोटे छोटे 70 टुकड़े कर दिए और काले रंग की थेलियो में डालकर डी फ्रीजर में रख दिया ताकि लाश में से बदबू न आये | अब राजेश आराम से उस लाश के टुकडो को ठिकाने लगा सकता था | राजेश अब मशुरी के जंगलो में जाता और एक बार में एक ही थेली लेकर जाता और साथ में अपने बच्चो को भी लेकर जाता | उन मासूम बच्चो को क्या पता की जिस माँ को वो इतने दिनों से खोज रहे है वो अब इस दुनिया में नहीं है | उसी माँ के शरीर के टुकडो को जंगलो में फेंकने के लिए उसका पिता उने भी साथ लेकर आता था ताकि किसी को कोई सक न हो |
अब राजेश जैल में सलाखों के पीछे है जिस जिन्दगी की सुरुआत प्रेम से हुई थी उसी प्रेम, महोबत ने अनुपमा की जान ले ली थी अब अनुपमा के बच्चे बड़े हो चुके है और अपने मामा सुजान के पास में रहते है | आज भी वो अपनी माँ को बहुत याद करते है |
आपको ये सत्य घटना पर आधारित कहानी केसी लगी हमे कमेंट करके अपनी प्रतिकिर्या दे
जय हिन्द जय भारत
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